Thursday, June 30, 2016

गीता

गीता आत्मा की शुद्घि है और जिंदगी का सार है । गीत एक ऐसी सोच है जिसे हर कोई समझ नही सकता न ही ये इतनी जल्दी समझ आती है पर जब ये समझ आने लगती है तो जिंदगी की कड़वी सचाइयों से रूबरू कराती है इसमें न कोई ढोंग है न ही कोई प्रपंच । इसे पढ़कर दुनियादारी की समझ बढ़ जाती है और मौत और जिंदगी के बीच का फासला समझ आता है । गीता वैसे तो हिंदुत्व का आइना है पर ज्ञान के वो चक्षु है जो ईश्वर की उस रौशनी तक ले जाते है जहाँ नर और नारायण में कोई फ़र्क़ नही रह जाता ।
गीता न तो कोई धारणा न ही कोई किताब बल्कि एक इंकलाब है आत्मा और परमात्मा को बीच के अंतर की समझ को बढ़ाता है ।अगर हम चाहते हैं हमारे कर्म और उनसे होने वाली ग्लानि से हम बचें रहे तो गीता को हमे अंगीकार करना ही होगा । गीता एक औसत विचार है जो मनुष्य की सोच से परे उसके कर्मों और उनसे होने वाली ग्लानियों का चिंतन द्वारा सही और गलत की समझ को मनुष्य को प्रदान करती है । गीता में दी गयी बातें बड़ी गुढ़ हैं जिनको समझ पाना सबके बस की नही पर जो एक बार समझ गया फिर उसको दुनिया की फिकर भी नही ।
बस एक बार उस ग्रन्थ को पढ़े अवश्य ।चाहे हिन्दू हो या और किसी भी धर्म को मानने वाले एक बार गीता को पढ़ें। आपको खुद ही लगेगा कि सच में आप अब तक कुछ सच्ची बातों से अनजान थे ।
कृष्ण की कही बातों का बस थोडा सा समावेश अपने जीवन में करके तो देखे शायद आपका जीवन बदल जाए ।
गीता की धर्म को नही दर्शाती अपितु सारी मानवजाति और इंसानियत को सुमार्ग पर ले जाने हेतु उत्तम तथ्यों को दर्शाती है ।
#राखी

Saturday, April 2, 2016

लड़की हूँ न

जब मै अपनी माँ की कोख में थी
तब से ही सोचती थी जब दादी कहती
की उसे तो पोता ही चाहिए पोती नहीं
जब मै पैदा हुई तो कोई ख़ुशी नहीं हुयी
सबके मुह लटके हुए और उदास थे

बचपन से ही मुझे त्याग और सहनशीलता
पाठ पढाया गया और झोक दिया इस
संसार की जरुरत पूरी करने में चूले में
मुझे स्कूल कभी जाने न दिया गया और
घर को ही मेरा संसार बना दिया गया

जब रखा मैंने जवानी की दहलीज़ पे कदम
ब्याह दी गयी मैं और मुझे भेज दिया गया
ससुराल एक ऐसी अनजान जगह जहाँ मेरा
कोई अपना नहीं सब पराये थे और मुझे तो पता ही न था कुछ भी बड़ी असमंजस में थी

जब डोली में बैठा जे विदा किया बाबा माँ ने
तो बस ये ही कहा अबी तेरे पति का घर ही तेरा घर
वहां जेक कभी किसी को जवाब नहीं देना आब्की सेवा करना और मै तो एक तक निहारती रह गयी
की आखिर मेरा घर है कहाँ मायका या ससुराल

अभी मुझे अपने सवाल का जवाब मिला भी नहीं था की आ गयी ससुराल और आते ही यहाँ मुझे मिली सास ननद जेठानी देवर और ससुर का दुलार
नयो दुल्हन का अहसास भी कितना सुंदर होता है
वो जानता है जो दुल्हन बनता है और कोई नहीं

फिर वो पल भी आया जब रूबरू हुयी मैं अपने पति से
पर ये क्या टूट गया मेरा दिल उसी रात क्युकी मई तो सिर्फ एक कटपुतली थी उसके लिए और कुछ नहीं
मन में सवालों के कई सैलाब आये और चले गए
पैर उफ्फ्फ तक न करी मैंने औरत जो थी

कुछ साल बाद वो आया जिसके आते ही खिल गया मेरा मअत्रीतव और वो लाया जीवन में बहार
आँचल में खेला मैंने लुटाया उसपे दुलार
आँखों जा तारा वो दिल का दुलारा वो मेरा
पयर सा बेटा मेरा सब कुछ वो और कोई नहीं

पहले एक था फिर मैं चार बेटो की माँ बनी
बस एक बेटी की आस थी वो ही नहीं मिली
सबकी जरूरतों को पूरा किया सबकी ताड़ना झेली
उफ़ नहीं की मैंने कभी औरत थी सहनशीलता मेरा गहना था येही सिखा था मैंने जनम से

अब मैं बूढी हो चली थी अब झेल रहो हूँ एक बेटे से दुसरे बेटे के घर दुसरे से तीसरे के घर
और अब तो वृद्धा आश्रम में रहने लगी हूँ सबसे तंग आकर और येही सोचती हूँ की इश्वर अपने पास बुला ले अब और सहा नहीं जाता

उपर जा कर पुछूनगी भगवान् से तूने मुझे औरत ही क्यों बनाया
मर गयी मई जब गयी भगवान् के पास और बोली क्यों दी मुझे ऐसी जिन्दगी जो नरक से भी बध्तर थी
क्यों में धरती पे औरत की ऐसी हालत की

भगवान् हस के बोले सुन तू अबला नहीं तूने अपने को अबला बनाया क्यों सहे जुल्म विरोध क्यों नहीं जताया
कलयुग में तू अपने हक की क्या उम्मीद रखती है
ये तो वो चीज़ है जो छीनने से मिलती है
उठ उठा ले हथियार कर ले आगाज़ और
जा इस समाज को ललकार
फिर देख कैसे तेरी बात मानी जाएगी
और तू भी दुर्गा और काली की तरह पूजी जाएगी
#राखी