Thursday, July 20, 2017

बात बेबाक

औरत जब भी प्यार  में होती है वो अपने साथी को खाना बना के खिलाती है । ऐसे ही ही रहती है जैसा वो चाहता है ।अपना अस्तित्व ही खो देती है । खुद को खोना ही शायद इश्क़ है पर आदमी इश्क़ में भी अपना पौरुष दिखाना चाहता है ।हो सकता है वो उसका प्यार जताने का तरीका हो । वो पुरुषत्व को खुद पे इतना हावी रखता है की उसका वजूद खो जाता है उसके इस पौरुष की वजह से । वो इश्क़ तो करता है पर कहीं न कहीं वो पाना चाहता है उस देह को जो एक दिन मिट्टी हो जानी है।वो समेट लेना चाहता है अपनी चाहतों को वहीं तक । सब एक जैसे कभी नही हुए न हो सकते हैं । पुरुष में संवेदनाएं तो होती है पर उन्हें न जाने क्यों दबा लेता है कहीं अंदर ।परत दर परत जम जाती है पर वह कही कहता नही क्योंकि शायद उसका पुरुष होना ही उसके लिए एक अभिशाप है । उसे शायद ये डर रहता कि औरत उसे सझ भी पाएगी की नही और उसका ये डर उसकी कमजोरी को साबित करता है ।
#राखी
#बातबेबाक