Saturday, November 29, 2014

ये कैसी मोहब्बत


मेरी रूह तक कांप गयी है उससे ओ पत्थर दिल
तेरी बातों के नश्तर मेरे दिल में चुभ गए
बस एक ही मलाल रह गया है मेरे दिल में
कि तू इतना बेदर्द कैसे हो गया है मेरे लिए
तुझे पता है मैंने बेपनाह मोहब्बत की है तुझसे
पर अब तू अगर मेरे पास आके भीख भी मांगेगा न
तो भी मुह फेर लुंगी तुझसे मैं ये याद रखना तू
क्योंकि तुझ जैसे पत्थर दिल के साथ रहकर
मैं भी दरख़्त बन गयी हु और महसूस नहीं होते
मुझे अब कैसे भी मोहब्बत के जज़्बात
ये कैसी मोहब्बत है तेरी जिससे रूबरू हुई
हूँ मैं जिससे अब थी मैं अनजान
राखी शर्मा

Wednesday, November 19, 2014

तेरे प्यार का गीत जिंदगी की बांसुरी पे बजाऊं कैसे


तेरे प्यार का गीत मैं अपनी जिंदगी की बांसुरी पे बजाऊं कैसे
जो प्यार तेरे लिए इस दिल में है वो प्यार होंठो तक लाऊँ कैसे
दिल के सागर में जो लहरे उठ गयी हैं उन्हें किनारे तक ले जाऊं कैसे
हो गयी है तुझसे जो इतनी प्रीत उस प्रीत का फ़र्ज़ निभाऊं कैसे
कुछ रिश्तों का तो नाम ही नहीं होता मैं तेरा मेरा रिश्ता लोगों को बताऊँ कैसे
तेरे साथ जीने की ख्वाइश है तो तुजसे इतनी दूर होकर मर जाऊँ कैसे
हम दोनों कभी मिल पाएं कभी ये जरुरी तो नहीं और मिले बिना तुझसे रह पाऊं कैसे
आखिर ये दिल भी तो नादाँ है ज़िद करता हैअब तू ही बता इसे समझाऊं कैसे
तेरे प्यार की माला को अपने सगरिंगार का गहन मैं बनाऊ कैसे
ये जो ख्वाब देखती हैं मेरी आँखे उन ख्वाबों को अपनी आँखों से मिटाऊं कैसे
दिल के रेगिस्तान में बूंदे बनकर बरसता है तेरा प्यार मैं इसे रोक पाऊँ कैसे
तेरे प्यार की आहट जो दिल पे दस्तक देती है तू बता उससे अपना ध्यान हटाउ कैसे
जिन मुश्किल हो गया है मेरा तेरे बिन तू ही बोल तुझ बिन मैं जी पाऊं कैसे

Friday, November 7, 2014

रूहानी प्यार

तेरे साथ जब से रूहानी प्यार के अहसास से गुजरी हु
सच कहूँ तुझे देखे बिना भी अब मेरा वक़्त कट जाता है
तुझसे मिलने की चाहत भी नहीं होती अब तो दिल में
तेरी यादों में ही मुझे सच्चा और गहरा सकूं आ जाता है
तुझसे मिलने की तलब अब नहीं होती है रोजाना मुझे
करार तेरे साथ गुज़रे लम्हों से ही मिल जाता है मुझे
वाजिब है शायद मुक्कम्मल मेरी मोहब्बत हो गयी है अब
क्युकी तेरे साथ होने का अहसास हर पल हो जाता है मुझे
तू दूर होकर भी मेरी रगों में समाया है लहू बनकर
तेरा मुझमे बहना हर वक़्त इस तरह भाता है मुझेमैं तो पूरी तरह से तेरे रंग में रंग के रंगीन हो गयी हु अब
बस तेरा टूट के चाहना अब याद आता है मुझे
मोहब्बत की इससे ज्यादा क्या इन्तेहाँ होगी अब
की तेरा मुझमे होने का अहसास रूमानी कर जाता है मुझे।
राखी शर्मा