Thursday, February 20, 2014

तुम्हारी होना चाहती हूँ

एक बार तेरे गले लग के रोना चाहती हूँ
तेरे इन कंधों को आंसुओं से भिगोना चाहती हूँ
जीने की  खवाइश नहीं है अब मुझे ऐ हमदम
तेरी ही बाँहों में बस अपना दम तोडना चाहती हूँ
अपन इस निश्छल प्रेम को जो तेरे लिए है
एक तुझ पर  बस उडेलना चाहती हू
नींद नहीं आती मुझे इस गम ऐ जिंदगी में
तेरी गोद में चैन से सोना चाहती हूँ
जैसे कोई बच्चा माँ को देख कर खुश होता हो
मैं तुम्हे देखके खुश होना चाहती हूँ
हवस से दूर वो पवित्र प्रेम मिले जहाँ मुझे
ऐसी दुनिया में तुम्हे मै खोजना चाहती हूँ
आत्मा का जुड़ाव हो जहाँ और शारीर दूर रहे
मै उस मुकाम को पाना चाहती  हूँ
चलो चलें यहाँ से दूर उस भावो की दुनिया में
तुम्हारा हाथ पकड़ के मैं वहां चलना चाहती हूँ
हो बस एक हमारी ही दुनिया वहां और कुछ नहीं
मैं कुछ इस तरह से तुम्हारी होना चाहती हूँ
राखी

मुझे तेरा साथ चाहिए

तू अगर मेरा हाथ भी छू लो तो जिंदगी संवर जाये
तुझसे इस से आगे कुछ  नहीं चाहिए मुझे
तू बस मेरे साथ चल इन जिन्दगी की राहों पे
तेरे प्यार की बरसात नहीं चाहिए मुझे
मेरे साथ ऐसा रिश्ता बना लो तुम जो कभी न टूटे
तेरा उमर भर का साथ चाहिए  मुझे
तुझसे मेरा रिश्ता रूहानी है बड़ा पवित्र है
दुनिया को दिखाऊ ऐसा नहीं चाहिए मुझे
तू बात करे न करे मुझे याद करे न करे
बस तेरे साथ होने का अहसास चाहिए मुझे
दूर होकर भी तू दूर नहीं मुझसे साथ है
तेरी हर नजर मुझ पे हो बस तेरा दीदार चाहिए मुझे

Thursday, February 13, 2014

तेरे प्यार का ज्वर

तेरे प्यार का ज्वर इस कदर हो गया है
के किसी दावा से मुझे आराम नहीं आता
तेरे स्पर्श से और भी तपन बढ़ जाती है मेरी
मेरे इस दिल को कहीं आराम नहीं आता
मेरे अधरों पर बस तेरे अधरों की प्यास है
कोई पैमाना मेरी अब प्यास नहीं बुझाता
आकर बाँहों में भर ले मुझे जो सुकून मिले
के ये समां फिर से लौटकर नहीं आता
रेत तपती है जैसे रेगिस्तान में ऐसे ही मई भी
क्यों तू आपने प्यार की बारिश को नहीं बरसाता
आकर देख ले मुझे तू तेरे प्यार के मारे हम
हमे तो मैखानो में जाना नहीं सुहाता
एक हुक सी उठती है तेरे प्यार मुझ में
तू आकर मेरे गले से लग क्यों नहीं जाता
कुछ इस तरह समां जा मुझमे के रूह को चैन मिले
के तनहा हमसे अब रहा नहीं जाता
राखी