सबकुछ है मेरे पास तेरा जो प्यार है
इस प्यार पे मेरा दिल ओ जान निसार है
तूने मुझे जनम दिया नहीं तो क्या हुआ
पर इस जीवन पे तेरा भी अधि कार है
तुझसे मिलकर लगा मुझे की मेरी
जिन्दगी तेरी गोद मे बीती है
तेरा वो मुझे छेड़ कर चिढाना
बहुत अच्छा लगता है
तेरा हर बात पे मुस्कुराना
अच्छा लगता है
धीरे से आकर मेरे गाल को छूना
गले से लगाना अच्छा लगता है
अब तो तेरे बिना जीना मुझे
मुश्किल सा लगता है
माँ ऐसी सहेली बन गयी है
जिसेसब बताना अच्छा लगता है
तू पास नहीं मेरे बस ये ही
दुःख बहुत बड़ा है
चली जाये गी माँ तू बहुत दूर मुझसे
और तेरे दूर जआना रुला देगा मुझे
सबके सामने तो रो नहीं पाऊँगी
पर अकेले आंसू बहुत आयेंगे
तेरे जाने के बाद तेरे साथ गुजरे
वो लम्हे बहुत याद आयेंगे
पता नहीं माँ क्यों तुझसे
इतना प्यार हो गया है
तेरी इस राखी का दिल तेरे लिए
बस तलबगार हो गया है
तेरा वो स्नेह मैं भूला न पाउंगी
लगता है मुझे तुझ बिन माँ
कैसे अकेले रह पाउंगी
कैसे रह पाऊँगी कैसे रह पाउंगी
Monday, December 23, 2013
मेरी माँ
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no comments .nishabd karti rachnaye
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