सुकून तो तब मिले रूह को मेरी
जब वो इस जिस्म से आज़ाद हो
पर नामाकूल ये जो तेरा प्यार है न
मुझे ऐसा करने नहीं देता है
मेरी पाक मोहब्बत तेरी यादो के साए में चलती है
आँखों से मेरे बारिश इस कदर बरसती है
कुछ तो है तेरे मेरे दरमियान आज भी हम दम
जो दूर होकर भी मेरी आखे तेरे दीदार को तरसती हैं।
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