सुना है क्या तुमने कभी ये
पत्थर भी आवाज़ लगाते हैं
ये ठूंठ खड़े पहाड़ भी हमे
अपने पास बुलाते है
कभी जाकर तो देखो दोस्तों
प्रकृति की उस गोद में जहाँ
बाहें पासरे ये पेड खड़े है
तुम्हारे इंतज़ार में
कभी बैठो कुछ देर किसी झील
के किनारे और निहारो आकाश
में उड़ते पंछियों को
कितना सुखद अहसास है
एक अलग ही आकर्षण है प्रकृति
की गोद में
चढो कभी पहाड़ों पर ऊँची नीची
पगडंडियों से और देखो
नजारा उपर से धरती का
कैसा मनमोहक अहसास है
कैसा ये अनुभव जो मुझे बार
आकर्षित करता है अपनी और
और मैं खिची चली आती हु
बिना किसी डोर।
बहोत-सुंदर
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