Wednesday, May 28, 2014

अनोखा अनुभव

सुना है क्या तुमने कभी ये
पत्थर भी आवाज़ लगाते हैं
ये ठूंठ खड़े पहाड़ भी हमे
अपने पास बुलाते है
कभी  जाकर तो देखो दोस्तों
प्रकृति की उस गोद में जहाँ
बाहें पासरे ये पेड खड़े है
तुम्हारे इंतज़ार में
कभी बैठो कुछ देर किसी झील
के किनारे और निहारो आकाश
में उड़ते पंछियों को
कितना सुखद अहसास है
एक अलग ही आकर्षण है प्रकृति
की गोद में
चढो कभी पहाड़ों पर ऊँची नीची
पगडंडियों से और देखो
नजारा उपर से धरती का
कैसा मनमोहक अहसास है
कैसा ये अनुभव जो मुझे बार
आकर्षित करता है अपनी और
और मैं खिची चली आती हु
बिना किसी डोर।

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