Wednesday, July 1, 2015

वो बेवफा

मेरी बात सुनते ही गज़ब की ख़ामोशी छा गई उनमे
मैंने तो बस ये पुछा कि किसी से वफ़ा की है क्या कभी??????
बहुत देर के बाद सोच के बोले कभी किसी से इतनी मोहब्बत ही नही की मैंने
तुम तो वफ़ा की बात करती हो मुझे तो ये तक याद नही की मोहब्बत कब की
सुनकर उनकी ये बातें मेरी आँखों में आंसू बाह निकले और मैंने कहा
जो मैंने तुमसे मोहब्बत की उसका क्या मैं तो खुद गुनहगार बन गयी
तुमसे ये सवाल करके अपनी नज़रों में ही खुद को ही गिरा लिया
वो फिर बोले मोहब्बत होती तुम्हे तो ये सवाल ही क्यों करती तुम
कुछ सवालों के जवाब मेरी आँखों में ढूँढो तो खुद ही मिल जाएंगे
कैसी मोहब्बत है ये जो इलज़ाम दिलबर पे सरेआम लगाती है
और फिर मुझे दोषी बता के अपनी आँख से आंसू गिराती हो
दिल में झांक के देखो तो तुम्हे पता चले की कौन गुनाहगार है
मैं तो बेबस सी बस उसे देखती ही रह गयी और ये ही कहा कि मेरे दिल की गहराई तू क्या जान पायेगा जो मुझे प्यार ही न करे
जिस आग में जली हूँ मैं अब तक तुझे तो उसकी आंच भी नही लगी
जा आज़ाद है तू मेरे हर सवाल से हर इलज़ाम से और बेवफा के दाग से

राखी शर्मा

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