एक बार तेरे गले लग के रोना चाहती हूँ
तेरे इन कंधों को आंसुओं से भिगोना चाहती हूँ
जीने की खवाइश नहीं है अब मुझे ऐ हमदम
तेरी ही बाँहों में बस अपना दम तोडना चाहती हूँ
अपन इस निश्छल प्रेम को जो तेरे लिए है
एक तुझ पर बस उडेलना चाहती हू
नींद नहीं आती मुझे इस गम ऐ जिंदगी में
तेरी गोद में चैन से सोना चाहती हूँ
जैसे कोई बच्चा माँ को देख कर खुश होता हो
मैं तुम्हे देखके खुश होना चाहती हूँ
हवस से दूर वो पवित्र प्रेम मिले जहाँ मुझे
ऐसी दुनिया में तुम्हे मै खोजना चाहती हूँ
आत्मा का जुड़ाव हो जहाँ और शारीर दूर रहे
मै उस मुकाम को पाना चाहती हूँ
चलो चलें यहाँ से दूर उस भावो की दुनिया में
तुम्हारा हाथ पकड़ के मैं वहां चलना चाहती हूँ
हो बस एक हमारी ही दुनिया वहां और कुछ नहीं
मैं कुछ इस तरह से तुम्हारी होना चाहती हूँ
राखी
Thursday, February 20, 2014
तुम्हारी होना चाहती हूँ
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Waah!waah!waah! Bahut khub likha hai!! Keep writing!! :)
ReplyDeletethanx abhi
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