Thursday, January 1, 2015

मेरा इश्क़

बेज़ुबान है इश्क़ मेरा समझना है तो दिल के जज़्बात समझ
कैसे करूँ बयान ऐ मोहब्बत तू कभी तो मेरे अहसास समझ
खलिश नहीं मुझे कोई न ही कोई शिकवा तुझसे है
मेरे लिखे अल्फ़ाज़ों की तू कभी तो ज़बान समझ

ज़ात ही मेरी कुछ ऐसा है कि मैं हल्फ़ कैसे उठाऊ मौला
कैसे खुद को तेरे इश्क़ के मुक़दमे से बचाऊं मौला
कैद है ज़िन्दगी मेरी तेरी आँखो के कारागार में
कैसे इसकी सलाखों को मैं  तोड़ के आज़ाद हो जाउँ मौला

गज़ब ये मेरी आज कल तासीर हो गयी है
तेरे दीदार की तलब बड़ी ही गहरी हो गयी है
कैसे इन आँखों में तेरी प्यास को बुझाऊँ
मुझसे ज्यादा मुझे तेरी ज़िन्दगी प्यारी हो गयी है

गमगीन मेरी मोहब्बत का फ़साना हो गया है
मेरा ये नाज़ुक सा दिल तेरी अदाओं का दीवाना हो गया है
रश्क़ है अब मुझे खुद की मोहब्बत पर क्योंकि
बड़ा ही दिलकश अपना फ़साना हो गया है।

राखी शर्मा

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