Monday, June 1, 2015

क्यों मैं प्यार किया करती थी

मुझे प्यार में रुसवाइयों का दर कभी न था
मैं तो प्यार में तन्हाइयों से डरा करती थी
और वही हुआ जिसका हमे ज्यादा डर था
मैं तो तुमसे बेइंतहा प्यार किया करती थी
छोड़ ही गए मुझे इन रास्तों पर तुम तन्हा
आखिर तुम ही हो वो रकीब मेरे जिस पे
में खुद से ज्यादा विश्वास किया करती थी
आज दिल का वो आँगन सुना हो गया है
जहाँ मैं हरपल तुम्हारा इंतज़ार किया करती थी
जो भी खिले थे प्यार के फूल वो मुरझा गए
जिनसे मैं खुद को गुलज़ार किया करती थी
खोकर तुमको एक बात पूछती हूँ खुद से
क्यों तुम पर वक़्त बर्बाद किया करती थी
काश के वो ज़माना वापस आ जाये फिर से
जब तुम्हारे प्यार में खुद को ज़ार ज़ार किया करती थी
अब लौट के कभी मत आना मेरे रूबरू ओ हमनवा
अब वो मौसम गया जब खुद को तार तार किया करती थी।
राखी शर्मा

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