मेरा पैगाम तो तुझ तक पहुंचा होगा
जब ख़त तूने मेरा खोला होगा
आँखों से आंसू तो छलके होंगे
जब आखिरी सलाम मेरा पढ़ा होगा
छोड़ दिया मैंने इंतज़ार करना अब
तुझे अब ये समझ आ गया होगा
रूह में उतर गया था जो इश्क़ तेरा
उसे कतरा कतरा अब ढलना होगा
मैं तो छोड़ चली हूँ राहे जिंदगी में तुझे
अब अकेले ही ये सफ़र तय करना होगा
याद तो आउंगी मैं तुझे हमेशा ही याद रख
पर तेरे आंसुओं के सैलाब को रुकना होगा
पत्थर दिल को तेरे मोम न बना सकी मैं कभी
पर अब पल पल उसे जल के पिघलना होगा
रूह तेरी पुकारेगी मुझे पर मैं सुन न सकुंगी
तेरी आवाज़ को अपना रुख बदलना होगा
तूने जो गिराई हैं बिजलियाँ मुझ पे जरा गौर करना
उनकी तपिश में अब तुझको जलना होगा
मोहब्बत कभी न मिटी है न मिट पायेगी कभी
तुझे मगर मुरझाकर भी खिलना होगा
गुरूर तो टूटेगा एक दिन तेरा ओ साकी
क्योंकि आदमी है तूझे मिटटी में मिलना होगा
उस दिन मेरा ये ख़त पढ़ना निकल कर तू
जब तुझे जिंदगी छोड़ मौत की राह पे चलना होगा
मेरे ख्याल तुझे जीने भी नही देंगे तड़पेगा तू मौत को
जिस अज़ाब से मैं गुजर रही हूँ तुझे भी गुज़रना होगा ।
#राखीशर्मा
Tuesday, September 22, 2015
एक पैगाम तेरे नाम
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment