कैसी विडंबना है न की लोग कहते हैं है हम एकदम परफेक्ट हैं और अगर ऐसा है तो क्यों तलाशते है अपनी ख़ुशी किसी औए के साथ ।कही न कहीं अपूर्णता तो है न जिन्दगी में तभी तो निकल पड़ते है तलाशने ।उस अपूर्णता को पूर्ण करने के लिए ।इन्हें कभी कभी तो खुद समझ नहीं आता की उन्हें चाहिए क्या।
जिन्दगी में सब चाहिए प्यार दुलार और अपनापन आपसी समझपप पर ये कहावत भी सटीक है न की किसी को मुक्कम्मल जहाँ नहीं मिलता ।तो फिर क्यों है ये अंधी दौड़
क्यों भीड़ में रहकर भी अकेला है ।
जरा सोचिये
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