Thursday, July 17, 2014

बारिश और तुम

आज जैसे ही पानी बरसा और बूँदें मुझे  छूने लगी
बरबस तेरी यादें ने मुझे घेर लिया अपनी बाहों में
तेरे पहलु में बिताये वो बीते पल याद आने लगे
मेरे इस दिल की बगिया के फूल मुस्कुराने लगे
वो तुम्हारा प्यारा स्पर्श बहुत याद आया मुझे
तुम्हारी उन अटखेलियों ने बहुत सताया मुझे
इतने बातूनी तो नहीं तुम जितनी की मैं हूँ
इतने शरारती भी नहीं हो तुम जितनी मैं हूँ
एक सादगी है तुम में जो मुझे तुम्हारी ओर खीचती है
तुम्हारे प्यार पेड जो मेरे दिल में है उसे वो सींचती है
तुम्हारी खामोश निगाहों  की भाषा पढ़ लेती हूँ मैं
तुम्हारे बिन बोले ही सबकुछ समझ लेती हूँ मैं
तुम्हारे साथ बिताये कुछ पल भुलाये नहीं जाते
उन हसीं लम्हों के वो मंजर दिल से मिटाए नहीं जाते
तुम्हारे साथ चाय की चुस्कियां याद आती है
बारिश में साथ चले जब वो खामोशियाँ याद आती हैं
थोडा ही सही वो मुकम्मल जहाँ तो मिला मेरे प्यार को
एक टुकड़ा प्यार मिला मेरी जिन्दगी के जहाँ को
ये रूहानी प्यार अब मैं भी महसूस करती हूँ
कुछ पल साथ बैठ बात करने को मैं भी तरसती हूँ।
राखी

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