Wednesday, July 23, 2014

एक अरमान

जी शिद्दत से तुम मुझे गले लगाते हो
कसम से मेरे अरमानो को पंख मिलते हैं
लगता है कितने जन्मो से बिछड़े हो मुझसे
जिन्दगी को जीने के कितने रंग  मिलते हैं
तुम्हारी वो अनकाही बाते जो लबो पे आती नहीं
क्यों लबों  की ख़ामोशी अब तुम्हारे टूट जाती नहीं
समझ न सकी आज तक तुम्हारी चाहत को मैं
अब तक अनजान हूँ तुम्हारी कई बातों से मैं
तुमको देख भी लूं तो सुकून दिल को हो जाता है
क्या ऐसे भी कभी प्यार  हो जाता है
जब बातें करते हो तुम तुमको निहारती रहती हूँ
तुम्हारी बातों का अर्थ निकालती ही रह जाती हूँ
काश ये मुम्कम्मल मेरा जहाँ तुझसे से हो जाये
ये अधूरी प्यास तेरे साथ से पूरी हो जाये
कुछ बातें होती है जिनका जिस्म से कोई ताल्लूक नहीं
मुझे इस दुनिया की बातों से कोई मतलब नहीं
तुझमे  ही बस्ती है मेरी दुनिया और मेरा जहान
तुझे पाना मेरा बस बन गया एक अरमान ।
राखी

No comments:

Post a Comment