रूह में मेरी इस तरह उतर गया वो मेरा चाहनेवाला
कि अब तो मेरा फ़क्त ये बदन रह गया है
ले गया अपने साथ मुझे भी वो जो मेरा रहनुमा नहीं था
अब वो ही एकलौता मेरी यादों का हमसफ़र बन गया है
इस बदन का तो बस खाका रह गया ऐ मेरे मुंतज़िर
मेरी रूह मेरे ख्याल और ख्वाबो में इस तरह घर कर गया है
अब तो जान बाकी रह गयी है मुझमे एक अमानत उसकी
वर्ना वो तो मेरी धड़कनो को भी अपने मुताबिक़ कर गया है।
राखी शर्मा
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