Thursday, April 30, 2015

मेरा बयान

इश्क हो गया तो उम्मीद खो गयी
तेरे प्यार की मैं मुरीद हो गयी
न इसकी कोई मंज़िल न कोई ठिकाना
मेरी हालत कुछ गंभीर हो गयी
डूबी हूँ जबसे तेरी आँखो के समंदर में
मैं तो जैसे तेरी हीर हो गयी
बंद पिंजरे में पक्षी की तरह तड़पती हूँ
ऐसी मेरी तासीर हो गयी
दीन दुनिया से बेखबर हो तुझमे खोयी हूँ
मेरी तो रातें रंगीन हो गयी
मसला ऐ मोहब्बत इससे बढ़कर क्या होगा
कि मैं तेरे इश्क़ में फ़क़ीर हो गयी
न मेरा कोई मज़हब रहा न ही कोई ज़ात मौला
मैं शायद पाकीज़ा पीर हो गयी
तवज्जो दे ऐ मेरे हमनवा अब तो तू मुझको
के मैं ज़र्रों में ही कहीं विलीन हो गयी ।
राखी शर्मा

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