जब भी बारिश की बूंदे मेरा तन भिगोती हैं एक अजीब सी कसक दिल में होती है
बूंदों में हम भीग तो जाते हैं पर हमारे दिल में एक हलचल जरुर होती है।
नर्म बाहों के घेरे हमे जब आकर घेर लेते हैं उनसे निकल ने को हम मचलते हैं
अधरों की भाषा अधर ही समझते हैं उनमे कितनी प्यास है ये तो लब ही जानते है
तुम्हारे उंगलियो का बरबस ही मुझे छू जाना कितनी कोमल हूँ मैं ये बस अहसास समझते हैं
मौन आखों की अभिव्यक्ति को बस आँखे ही पहचानती हैं
क्या तुम्हारे दिल में है क्या मेरे दिल में है धड़कन ही जानती है
साँसों से साँसे उल्जहती है और दिल में तूफ़ान उठते हैं
बारिश के इस मौसम में दोनों तरफ आग बराबर लगती है
धड़कन से धड़कन जुडती है और आँखों से आँखे मिलती हैं
वो घडी जहाँ में ऐसे है जिसको ये दुनिया तरसती है।
मधुर कल्पना के वो पल जो हमको मिलते हैं हर बार दिल
में वोही भाव उमड़ते हैं
मोहब्बत के वो अनमोल पल जी भर कर हम जीते हैं
कभी न ख़तम जो प्यास हो उसे बुझाने की कोशिश करते हैं।
Wednesday, August 14, 2013
अनमोल पल
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