काश के खुद अपनी रहमतें मुझ बरसा देता
काश वो तुझे मेरी इस झोली में डाल देता
पर ये हो न सका और तू मेरे लिए गैर बन गया
पर गलती मेरी नहीं आखिर तू ही तो था
दिल ने जिसे पहली नजर देखकर अपना कहा
खुदा गवाह है कि सोई नहीं मैं उस रात
जिस दिन तुझसे मिली थी
प्यार की कलियाँ तुझे देखके जब फूल बनी थी
कहाँ गया वो मंजर कहाँ गए वो दिन
जब उस खुद ने ये प्रेम कहाँ लिखी थी
रश्क नहीं मुझको तुझसे जुदाई का
बस इतना ही सोचती हूँ की तू ही था वो दिल ने जिसे अपना कहा
जिन्दगी बीत तो रही है मेरी पर
जी नहीं रही मई तेरे बगैर
हर बार सोचती हु बस अब येही
की क्यों तुझे अपना कहा
राखी
Friday, August 22, 2014
दिल ने जिसे अपना कहा
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