हां मैंने लिख दिया है तुम्हारा नाम
उस पेड पर जिसके तले हम बैठा करते थे
उस चबूतरे पर जहाँ से तुम मुझे निहारा करते थे
उस बस स्टॉप पर जहाँ हम दोनों वक़्त गुजर करते थे
अपनी उस किताब पे जिसे तुमने बड़े प्यार से मुझे सौंपा था
उस कलम पर भी जिससे सबसे पहला तुम्हारा नाम लिखा था
मैंने तो अपने कमरे की खिड़की पर भी तुम्हारा नाम लिख दिया था
आज जब भी उससे देखती हु तो बरबस ही आँखे छलक जाती हैं
क्युकी ये सारे नाम अब भी यूँही लिखे हुए हैं
हाँ मैंने लिख दिया था तुम्हारा नाम अपने दिल पर भी
और आज भी उसे कोई मिटा नहीं पाया खुद तुम भी नहीं
राखी शर्मा
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