जब भी मैं अकेली होती हूँ
तो तुम्हारी याद से खुद को घेर लेती हूँ
साँसों मेंएक तूफ़ान सा उठता है
मैं खुद को आंसुओं से भिगो लेती हूँ
जो पल मैंने तुम्हारे साथ गुज़ारे
उन पलों की माला पिरोती हूँ
और फिर उस माला से अपने रूप का श्रिंगार करने लग जाती हूँ
कभी कभी तेरा ख़याल इस
कदर हावी हो जाता है मुझपे
लगता है जैसे तू सामने हो मेरे
और तुझे बस देखे चली जाती हूँ
मेरा ये अकेलापन ही तो है
जो तुझसे मिलने का एक ज़रिया है
वरना इस तेज चलती जिंदगी में
किसको किसकी परवाह है
वो लम्हे मुझे अपनी जान से भी प्यारे है
क्युकी उनमे तेरी यादों की महक है
उनमे तेरे पास होने का अहसास है
और तू ही तो है आज भी दिल के पास है।
राखी शर्मा
No comments:
Post a Comment