शादी के कई साल तक
साथ रहने के बाद भी
बिछड़ना चाहते थे वो
क्योंकि एक सी दिनचर्या
ने नीरसता भर दी थी
उनके संबंधो में
तब वो बहाने खोजने लगे
और एक दुसरे की कमियों को
बढ़ा चढा कर बोलने लगे
धीरे धीरे आई समंधो की खट्टास से
उनका संग रहना असंभव हो चला था
ऐसे में किसी को बिना बताये वे अलग अलग रहने लगे
फिर जब तन्हयिओन में निपट अकेले हो गए
तब उन्हें याद आया कि एक ही घर में रहते हुए
हँस कर मिलना साथ साथ चाय नाश्ता लेना
दिनभर गप्पे हाकना कभी झाड पोछ और
कभी धुले कपडे तह करना शाम की चाय
रात का खाना और टहलते हुए दूर निकल जाना
उसके बाद भी बहुत कुछ एक साथ
नींद के आगोश में जाने तक वे फिर लौट आये
साथ साथ रहने केलिए
घर को फिर सजाया जा रहा है
और साथ में रहना खुद को शिखाया जा रहा है
Wednesday, August 14, 2013
संभावना
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Bahut achha likha hai..aqsar kuch log aise daur se guzarte hain...
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