तेरी मेरी राज़ की बातें कुछ मीठी कुछ तकरार की बातें कैसी ये हैं प्यार की बातें हो जाये कुछ मनुहार की बातें खोल दूं ये राज़ जो कयामत हो जाये कैसे कह दूं कहीं बगावत न हो जाये मैं कहती हूँ ये राज़ खोल दो राज़ के जितने भी गिरह है आज खोल दू। राखी
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