Monday, September 22, 2014

जो तुम आ जाते एक बार

जो तुम आ जाते एक बार

जो तुम आ जाते एक बार
करती मैं तुमसे बाते हज़ार
चले गए मुझे यूँ अकेला छोड़ के
मुझसे यूँ मुंह मोड़ के
मुझे करना नहीं था तुम पे ऐतबार

ये सफर बहुत ही मुश्किल है
तनहा तनहा यूँ ही काटना
बहुत ही मुश्किल है मेरा
जीवन तुम्हारे बिन ढालना
मेरा तो जीना ही है अब बेकार

काश के ये मोहब्बत मैंने तुमसे
यूँ बेहद  तो न की होती
काश के मेरे बाग़ ऐ दिल ने
तेरे लिए यूँ आहें न भरी होती
जाने क्यों कर बैठी थी तुमसे मैं प्यार

हाथो की मेहन्दी को निहार जाओ
अपनी बातों का कोलाहल सुना जाओ
मेरी सुरमई आँखों में झांक तो लो
मेरी बात एक बार सुन तो लो
दिखा जाओ अपनी भी मोहिनी सूरत एक बार

खैर अपने जाने की वजह तो बता जाओ
एक बार ये ही बताने वापस आ जाओ
क्यों तुम्हे मेरी सदा सुने नहीं देती
क्यूँ मेरी ये तड़प दिखाई नहीं देती
आ जाओ कर लो फिर से आँखे चार
राखी शर्मा

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