Saturday, September 6, 2014

इंतज़ार

अजीब सी कशिश है तेरी आँखों में
जो मुझसे भुलाई नहीं जाती
इनमे डूबने की चाहत दिल से
मिटाई नहीं जाती
टूट कर दिल जार जार हो गया
ये दूरियां फिर भी मिट नहीं पाती
दूर होकर तेरी दुनिया से दिल
की दुनिया बसी नहीं जाती
कर देती है मजबूर जिन्दगी
पर तेरी यादें दिल से हटाई नहीं जाती
और परेशान हो जाती हु जब
तेरी तस्वीर आँखों से भुलाई नहीं जाती
इश्क इस कदर हो गया है तुझसे के
तेरे बिना दुनिया रास नहीं आती
अपना गम किसी से कह भी तो नहीं सकते
क्युकी परायों से ये बातें बताई नहीं जाती
तुम पास नहीं हो मेरे इस लिए
औरो से प्यास बुझाई नहीं जाती
हर चेहरे में तुझे ढूँढ़ते हैं
पर तेरी तस्वीर हमे कहीं नज़र नहीं आती
आ जाओ अब हमारे पास तुम के इंतज़ार की घड़ियाँ हमसे जी नहीं जाती
राखी

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