Thursday, September 4, 2014

तुम मैं और मन

कैसे हैं तुम मैं और मन
न तुम बदले न मैं और न ही मन
तुम भी मिलने को तरसते हो
मैं भी और मन भी
तुम भी आदत से मजबूर मैं भी मन भी
तुम भी मुझे सोचते हो मैं तुम्हे और हमारे मन भी
मैं भी प्यार में हु तुम भी प्यार में और ये मन भी
मैं भी सपने संजोती हु तुम भी और ये मन भी
मैं भी जुदाई में कुम्ल्हाई हु तुम भी और ये मन भी
प्यार की तडपन में तुम भी जलते हो मैं भी ये मन भी
कतरा कतरा जिन्दगी तुम भी जीते हो मैं भी मन भी
अधूरे अधूरे से हैं तुम भी मैं भी मन भी
राखी शर्मा

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