Wednesday, September 3, 2014

अहसास तेरे प्यार का

अह्स्सास तेरे प्यार का बहुत निराला है माँ
जितना भी सोचू मैं पैर ये अलबेला रिश्ता है माँ
जनम दिया तूने मुझे और लाड प्यार से पाला है
जा बाक्षर जब भी मैं अकेली होती हूँ
तूने दामन थामा है
और अब जब मैं विदा हो गयी ससुराल में
अब भी आती है तेरी यादें मेरे जहाँ में
दूर रहकर भी तुझे रिश्ता टूटा नहीं है मेरा
तुझसे प्यार और दुलार छुटा नहीं है मेरा
अहसास तेरे प्यार का कभी कम नहीं होगा माँ
न मेरे जीते जी और न ही मेरे मरने के बाद।
राखी

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