Wednesday, September 10, 2014

फिर कब मुझसे बात करोगे

पहली नजर में तुम्हे पहचान गयी मैं
अचानक तुम्हे देखा तो सहम गयी मैं
जिन्दगी से तुम्हे खो दिया था मैंने
तुम वापस आये तो तुम में खो गयी मैं
मेरी दुनिया फिर कब आबाद करोगे
फिर कब मुझसे बात करोगे

जिस दहलीज़ पर तुमसे मिली थी
प्यार की कलियाँ जहाँ फूल बनी थी
आज भी वो आँगन तुम्हे बुलाता है
जहाँ हमने अपने प्यार की कहानी लिखी थी
क्या मेरे साथ फिर से वहां चलोगे
फिर कब मुझसे बात करोगे

याद है मुझे वो तुम्हारी आखिरी मुलाकात
था तुम्हारे हाथों में मेरा कोमल हाथ
आँखों में तुम्हारी आंसुओं की झड़ी थी
बहुत दिर तक रहे हम दोनों साथ साथ
क्या आज भी मेरा हाथ थाम के चलोगे
फिर कब मुझसे बात करोगे

पर ये क्या तुम तो मुह मोडकर चले गए
मेरी आँखों के आंसू यूँही छोड़कर चले गए
कैसी हो तुम अब  भी गूंज रहा है कानो में
मूक करके मुझको फिर छोड़ क्र चले गए
फिर कब मुझसे मुलाकात करोगे
फिर कब मुझसे बात करोगे

आँख खुली मेरी और मैं सन्न रह गयी
एक अश्रुधारा मेरी आँखों से बह गयी
भूल गयी थी मैं की तुम मर चुके हो
तुम्हारी सूरत मेरे जहन में फिर घूम गयी
फिर कब मेरे सपने में आकर मुझसे  आत्मसात करोगे
फिर कब मुझसे बात करोगे
फिर कब मुझसे बात करोगे..................
राखी शर्मा

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